Plasma Therapy Kya Hai | प्लाज्मा से कोरोना मरीज को कैसे ठीक किया जाता है?

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नमस्ते दोस्तो! बहुत बहुत स्वागत है, आज हम बात करने वाले है, कि “Plasma Therapy Kya Hai | प्लाज्मा से कोरोना मरीज को कैसे ठीक किया जाता है जाने?” अगर आप जानना चाहते शरीर में प्लाज्मा क्या होता है, plasma थेरेपी की कोरोना में क्या जरूरत है तो पोस्ट आखिरी तक जरूर पढ़ें।

वर्तमान के समय में coronavirus पूरी दुनिया में काफी कहर मचा रहा है| अब तक इस कोरोनावायरस के कारण पूरी दुनिया में तकरीबन 60 लाख से भी अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं कई देश ऐसे भी हैं, जो इस वायरस पर अधिकतम कंट्रोल पा चुके हैं परंतु कुछ देश ऐसे भी हैं जहां पर यह वायरस अभी भी कहर मचा रहा है, जिसमें हमारा भारत देश भी शामिल है|

आपने टीवी पर और अखबारों में plasma therapy के बारे में सुना होगा और आप यह जानना चाहते होंगे कि आखिर plasma therapy kya hai? और plasma se coronavirus patient Kaise theek Hote Hai. Plasma meaning in hindi. अगर आप यह जानने में इंटरेस्टेड हैं तो बने रहिए हमारे साथ|

कोरोना वायरस को लेकर सबसे बड़ी टेंशन तो इस बात की है कि, अभी तक इसकी कोई कारगर Vaccine नही बन पाई है, वही जिन व्यक्तियो को भी vaccine लगाई जा रही है, उन  व्यक्तियों की वैक्सीन लगने के बाद भी उनमें से कई लोगों की करोना से मौत हो जा रही है| ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी को एक बेहतर treatment के तौर पर देखा जा रहा है|

ऐसे में कई लोग इंटरनेट पर यह सर्च करते हैं कि “प्लाज्मा थेरेपी क्या होती है?”, साथ ही करोना पेशेंट को प्लाज्मा का इस्तेमाल करके ठीक कैसे किया जाता है, चलिए जानते हैं इसके बारे में संपूर्ण जानकारी|

Contents

प्लाज्मा क्या होता है – What is plasma in hindi?

प्लाज्मा हर इंसान की बॉडी में मौजूद होता है|यह एक तरल पदार्थ होता है और इसका रंग पीला होता है| प्लाज्मा की सहायता से सेल्स और प्रोटीन हमारी बॉडी के विभिन्न अंगों में खून की सहायता से पहुंचता है| हमारी Body में इसकी मात्रा 52% से लेकर 62% तक होती है,वही Red Blood Cell में इसकी मात्रा 38% से लेकर 48% तक होती है|

प्लाजमा थेरेपी क्या है? – Plasma Therapy Kya Hai?

सामान्य तौर पर plasma therapy को Kayalsent plasma therapy के तौर पर भी जाना जाता है और इसका इस्तेमाल वर्तमान के समय में कोरोना वायरस के infection से परेशान मरीजों के इलाज के लिए किया जा रहा है| इस ट्रीटमेंट में उस व्यक्ति के खून से Yellow Liquid निकाला जाता है, जिसने करोना वायरस को मात दे दी है और फिर उस रोगी को इंजेक्शन लगाया जाता है, जो वर्तमान में कोरोनावायरस के इंफेक्शन से पीड़ित है| प्लाज्मा के अंदर antibody होता है, जो रोगी को बीमारी से लड़ने और बीमारी से उबरने में उसकी सहायता करता है|

हमारी बॉडी में मौजूद खून के अंदर तीन प्रकार के कंपोनेंट होते हैं, जिसमें पहला होता है red blood cell दूसरा होता है plelets और तीसरा होता है plasma | हमारी पूरी बॉडी के खून में तकरीबन 55 परसेंट प्लाज्मा होता है और हमारे खून में जो yellow liquid पदार्थ होता है, उसे ही प्लाज्मा कहा जाता है| प्लाज्मा हर इंसान की बॉडी के अंदर पाया जाता है|

जब कोई व्यक्ति कोरोना वायरस के इंफेक्शन से ठीक हो जाता है, तो उसकी बॉडी में एंटीबॉडी बन जाते हैं और यही antibody दूसरे किसी ऐसे व्यक्ति के काम आती है, जो कोरोनावायरस के इंफेक्शन से पीड़ित होता है| यह एंटीबॉडी रोगी की बॉडी में जाकर वायरस को खत्म करने का काम करते हैं|

जब coronavirus से ठीक हुए व्यक्ति का खून लिया जाता है, तो उसके खून में से filtering process को अपनाकर रेड ब्लड सेल और प्लेलिस्ट को अलग कर दिया जाता है और इन दोनों को वापस उसी की बॉडी में डाल दिया जाता है, साथ ही प्लाज्मा को स्टोर कर लिया जाता है|

प्लाज्मा से करोना मरीज को कैसे ठीक किया जाता है?

प्लाजमा थेरेपी के अंदर एक स्वथ्य आदमी से मरीज आदमी में immunity transfer करके उसका इलाज किया जाता है| प्लाजमा थेरेपी में कोरोनावायरस से ठीक हुए पेशेंट से गंभीर रूप से बीमार आदमी की ट्रीटमेंट के लिए एंटीबॉडी तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है| यह कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति को covid-19 virus के खिलाफ important antibody develop करने में सहायता करता है|

जब कोरोना वायरस से ठीक हुए पेशेंट के एंटीबॉडी को कोरोनावायरस से पीड़ित व्यक्ति की बॉडी में ट्रांसफर किया जाते हैं, तब कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति की बॉडी में इम्यून पावर बढ़ने लगती है जिसके कारण धीरे-धीरे कोरोना वायरस का इंफेक्शन कम होने लगता है और आदमी कोरोना वायरस से ठीक हो जाता है|

प्लाज्मा डोनेट कौन कर सकता है?

कोरोना वायरस के मामले में जो व्यक्ति कोरोना वायरस के इंफेक्शन से ठीक हो गया है,उसे ठीक होने के तकरीबन 28 दिनों के बाद plasma donate करना चाहिए| हालांकि प्लाज्मा डोनेट करने के लिए उसकी उम्र 18 से 60 साल के बीच होनी चाहिए और उसका कम से कम वजन 50 किलो ग्राम के आसपास होना चाहिए,साथ ही उसे कोई जेनेटिक बीमारी नहीं होनी चाहिए|

प्लाज्मा डोनेट कौन नहीं कर सकता है?

जिन लोगों का वजन 50 किलोग्राम से कम है या फिर जो अंडरवेट हैं,वह अपना plasma donate नहीं कर सकते| इसके अलावा जिन्हें डायबिटीज की समस्या है या फिर जो महिलाएं गर्भवती है या फिर जिनका ब्लड प्रेशर लेवल ज्यादा होता है या फिर जिन्हें कैंसर की बीमारी होती है अथवा जिन्हें फेफड़े या फिर गुर्दे या फिर दिल की बीमारी है, वह Blood Plasma डोनेट नहीं कर सकते है|

कोरोना वायरस के मरीज को प्लाज्मा की आवश्यकता कब होती है?

अगर मरीज को किसी medical expert ने प्लाज्मा की सलाह दी है तो कोरोना वायरस के मरीज को इसकी आवश्यकता होती है| इसके अलावा अगर रोगी की बॉडी में प्लाज्मा का लेवल कम हो गया है तब उसे इसकी आवश्यकता होती है| इसके अलावा अगर पेशेंट की हालत ज्यादा ही खराब है, तो उसे प्लाज्मा की आवश्यकता होती है|

इंडिया में सबसे पहले प्लाज्मा किसने डोनेट किया था?

हमारे भारत देश में सबसे पहले प्लाज्मा डोनेट करने का काम AIIMS Hospital के वर्कर Bhalaram ने किया था| आपकी जानकारी के लिए बता दें कि plasma therapy कोई दवा नहीं है,बल्कि यह एक rescue treatment है, जिसका इस्तेमाल करके कोरोना इनफेक्शन से पीड़ित मरीजों को ठीक करने में positive result मिल रहा है|

 

Conclusion:

इस प्रकार आपने आज के इस आर्टिकल में जाना कि Plasma kya Hota Ha तथा “plasma threapy kya Hai?” है और प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करके कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज का इलाज कैसे किया जाता है| अगर आपको इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल पूछना है तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं| हम जल्द से जल्द आपके सवालों का जवाब देने का प्रयास करेंगे|


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RK is the Author & Founder of the sahihoga.in . He has also completed his graduation in engineering

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